राष्ट्रपति मुर्मु ने दिव्यांगजन पुरस्कार प्रदान किए, समावेशी भारत व समान अवसर पर जोर

Wed 03-Dec-2025,03:41 PM IST +05:30

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राष्ट्रपति मुर्मु ने दिव्यांगजन पुरस्कार प्रदान किए, समावेशी भारत व समान अवसर पर जोर
  • राष्ट्रपति मुर्मु ने राष्ट्रीय दिव्यांगजन सशक्तिकरण पुरस्कार 2025 प्रदान करते हुए समान अवसर, सम्मान और अधिकार-आधारित व्यवस्था को राष्ट्र के विकास की अनिवार्यता बताया।

  • सरकार द्वारा सांकेतिक भाषा अनुसंधान, मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास, खेल प्रशिक्षण और पहचान पत्र सुविधाओं के माध्यम से दिव्यांगजनों के लिए मजबूत इको-सिस्टम निर्माण पर जोर दिया गया।

Delhi / New Delhi :

नई दिल्ली/ अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 3 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में वर्ष 2025 के लिए राष्ट्रीय दिव्यांगजन सशक्तिकरण पुरस्कार प्रदान किए। देशभर से चयनित उत्कृष्ट व्यक्तियों, संगठनों, नवाचारकर्ताओं और संस्थानों को दिव्यांगजन उत्थान, सहयोग, तकनीकी नवाचार, खेल, शिक्षा और सामाजिक समावेशन में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि दिव्यांगजन किसी भी समाज की विकास यात्रा के समान सहभागी हैं और उन्हें दान या सहानुभूति नहीं बल्कि सम्मान और समान अवसर की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी राष्ट्र की असली प्रगति तभी संभव है जब दिव्यांगजन विकास में सक्रिय भागीदारी निभाएं। अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस 2025 की थीम  “सामाजिक प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए दिव्यांगता-समावेशी समाजों को बढ़ावा” इसी दृष्टिकोण को सशक्त बनाती है।

राष्ट्रपति ने कहा कि कल्याणकारी मानसिकता से हटकर देश अब अधिकार-आधारित और सम्मान-केंद्रित व्यवस्था की ओर आगे बढ़ रहा है। 2015 में "दिव्यांगजन" शब्द अपनाने का निर्णय भी समाज में सम्मान और स्वीकार्यता को बढ़ावा देने का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि सरकार दिव्यांगजनों के लिए एक मजबूत इको-सिस्टम विकसित कर रही है, जिसके तहत सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण, मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास, खेल प्रशिक्षण और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में राष्ट्रीय संस्थान स्थापित किए जा रहे हैं। लाखों दिव्यांगजनों को विशिष्ट विकलांगता पहचान पत्र जारी किए गए हैं जिससे उन्हें विशेष योजनाओं और सुविधाओं का लाभ सुगमता से मिल रहा है।

राष्ट्रपति ने कहा कि केवल सरकार के प्रयास पर्याप्त नहीं हैं; समाज और हर नागरिक को भी दिव्यांगजनों के प्रति संवेदनशील और सहयोगी होना चाहिए। उन्होंने ज़ोर दिया कि दिव्यांगजनों की गरिमा, स्वावलंबन और आत्म-सम्मान सुनिश्चित करना सामूहिक दायित्व है। अंत में उन्होंने देशवासियों से आह्वान किया कि दिव्यांगजनों को सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय प्रगति की हर पहल में भागीदार बनाना चाहिए ताकि भारत वास्तविक अर्थों में समावेशी और विकसित राष्ट्र बन सके।